Thursday, November 20, 2008

~~ vibrations ~~



...

was my whisper blemish ?

or

I cried aloud ?

did u see

my lips,

wilted,

dipping ?

Oh..

U got an infection in ur ears .

Ah ..

I never tolled the bell

I never hissed the chimes ...

....

scarlet desires !!!



Cravings...
desire of you,

that runs deep
with a scarlet hot stream..
all the night...

I then,
erased u,
sketched u again
in a vagueness ...

I ..
missed u
with all my might ... !!

एक सवाल ख़ुद से ...


जरा साँस तो लो ए मेरे 'वजूद' ...
यूँ भागेगा तो थक जायेगा,
जरा हौले हौले चल ...

जानता हूँ के तू थक चुका है
इस दुनिया की नब्ज़ टटोलते हुए,
तेरी पेशानी पे भी कई लकीरें पड़ चुकी हैं
ये सोचते की कौन सा धागा टूटेगा,
कौन साथ रहेगा ...

क्या वो भी साथ रहेगा
जिसके लिए तू यूँ बाहर आने को तड़प रहा है ?

जानता हूँ
कई सवाल अभी भी मुन्तजिर हैं
अपने जवाबों के सबा में साँस लेने को ...

... जरा थोड़ा और वक्त ले,
जरा रेत को और सरकने दो ...
...

कब तक यूँ ही आसमान पे
अब्र में तेरी शक्ल बनता रहूँगा,
और किसी हवाओं में तुमको खोता रहूँगा ...

आ जा तू मेरे शेहेर में,
मेरे आँगन में लगे शज़र में
आज भी अपनी ख्वाहिशों की पतंग अटकी हुयी है ...

आ जा
इससे पहले कहीं कोई बेजार सा झोंका
उड़ा न ले जाए इसे ...

...

अभी अभी एक हल्का सा झोंका आया था

एक जर्द पत्ता, तेरी याद का
गिरा है अभी ...

...

a shallow poem

i felt buoyancy
guess, it was too saline
wanted to go the deepest ...
but i failed ..

it was Dead Sea,
or just your eyes,
mere eyes !!!

-- trickling down